Saturday, May 14, 2016

** सूली के संकेत कहाँ? **

¤ सूली के संकेत कहाँ? ¤

मिली लाडली अपने पिय से, उसका अपना देश जहाँ।
प्रीतम का अभिसार सहज है, सूली के संकेत कहाँ?1॥

थी कितनी भयभीत! सुना था;
सूली ऊपर सेज पिया की।
यह कपोल कल्पित गाथा,
अब मरी, न है अब कुछ भी बाकी।

क्या अगाध विश्राम अनूठा! नहीं कल्पना तनिक वहाँ।
प्रीतम का अभिसार सहज है, शूली के संकेत कहाँ?2॥

क्या अकाम मादकता व्यापी!
दिव्य- वक्ष पर उतरा पावस।
सदा जागरण- विलसित घट पर,
नित संक्रान्ति व नित्य अमावस।

शून्य- मेदिनी की अनुकम्पा, कैसी जीवन- मृत्यु वहाँ?
प्रीतम का अभिसार सहज है, सूली के संकेत कहाँ? 3॥

भौंरे से पीड़ित, लालीहत्‌ ,
पर, परदेश, कल्प- अवगुण्ठन।
खिला हठात्‌ पुष्प, जब उर- सर,
मरा भ्रमर तत्क्षण, पाया धन।

है अवाक्‌, पर प्रकट उल्लसित, समझो! दिव्य-प्रवेश वहाँ।
प्रीतम का अभिसार सहज है, सूली के संकेत कहाँ? 4॥

'सत्यवीर' देखे का अनुभव;
श्रुत- पत के बिल्कुल विपरीत।
शास्त्र कहें क्या शून्य- दशा को!
परखो स्वयं समर्पित प्रीत।

साधन की चर्चा- प्रसंग, नि:सार- भार, पर श्रेय कहाँ?
प्रीतम का अभिसार सहज है, सूली के संकेत कहाँ?5॥

अशोक सिंह 'सत्यवीर' {पुस्तक: "पथ को मोड़ देख निज पिय को"} geet no-22
मोबाइल नंबर - 08303406738

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